घरवाली काली हो या गोरी, वो आपकी सफलता में रुकावट नहीं डाल सकती। लेकिन अगर आपने रात को बर्बाद करना, दिन में समय पर काम न करना और अनुशासन को हल्के में लेना शुरू कर दिया, तो आपकी पूरी जिंदगी काली हो सकती है। खासकर इस स्टेज पर, जब आपके ऊपर ढेर सारी ज़िम्मेदारियाँ हैं।
यह बात बिल्कुल सही है कि अगर आदतें बदलना इतना आसान होता, तो हर कोई सुबह जल्दी उठने और समय पर सोने जैसी आदतों पर विजय पा लेता। जैसे कि समय पर सोना, लगभग रात 10 बजे, और सुबह 5 बजे उठना, या फिर 7 बजे के बाद रात का खाना नहीं खाना—यह सब सुनने, लिखने और कहने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन इन पर अमल करना उतना ही कठिन साबित होता है।
अगर यह इतना मुश्किल होता कि कोई इसे कर ही नहीं पाता, तो कोई भी इसे नहीं कर पाता, लेकिन ऐसे लोग हैं जिन्होंने इन आदतों को अपने जीवन में बड़ी आसानी से उतार लिया है। मैं भी इसे करने की कोशिश कर रहा हूं। आज मुझसे गलती यह हुई कि पार्क में 1 घंटे की वॉक के बाद, ठीक 8:30 बजे सो गया और फिर 10 बजे जागा, तैयार हुआ और 11 बजे ऑफिस पहुंचा।
इसके पीछे मुख्य वजह रात के अनुशासन में खलल पड़ना था। रात को 10:30 बजे सोने की तैयारी कर चुका था, बच्चों को भी सुला दिया था। मैं भी लगभग सोने वाला था, लेकिन अचानक एक ट्रिगर पॉइंट आ गया—मेरे हाथ में मोबाइल फोन आ गया। मुझे कुछ अच्छी चीजों के बारे में जानकारी इकट्ठा करनी थी और एक नया हेल्थ प्लान चाहिए था, इसलिए यूट्यूब पर वीडियो देखने लगा। वहां से शिफ्ट होकर आयुष्मान भारत की वीडियो पर चला गया, फिर लैपटॉप ऑन करके अकाउंट खोलने लगा, और फिर वहां से शिफ्ट होकर अबहा कार्ड की तरफ चला गया। अबहा कार्ड बना भी लिया, लेकिन बाद में पता चला कि मैंने कितना समय बर्बाद किया—लगभग 1 बज गए थे। पत्नी भी जाग रही थी, तो थोड़ा उसके साथ समय बिताया और फिर करीब 2 बजे सोने गया।
इसका मतलब है कि कभी-कभी अच्छी बातों के चक्कर में भी रात काली हो सकती है, अगर फोन हाथ में हो। फिर या तो पूरा दिन का रूटीन तहस-नहस हो जाता है, या फिर मेरे मन में यह मिथक बना रहता है कि अगर मैंने 8 घंटे की नींद पूरी नहीं की, तो मेरा आलस बना रहेगा।
इस आदत पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करें, प्रभु। यह विचार दें कि हर हाल में मैं समय पर सो जाया करूं और समय पर जाग जाया करूं।
इस प्रसंग से जुड़ी एक कहानी याद आ रही है | कहानी इस प्रकार है
रात के युद्ध और सुबह की विजय
निभू एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था, जो अपनी आदतों को सुधारने और एक सफल दिनचर्या अपनाने के लिए बहुत मेहनत कर रहा था। वह जानता था कि अगर वह समय पर सोएगा और सुबह जल्दी उठेगा, तो उसके जीवन में बहुत सकारात्मक बदलाव आएंगे। लेकिन असली संघर्ष तब शुरू होता था, जब रात के अंधेरे में उसके हाथ में मोबाइल आ जाता था।
हर रात, निभू खुद से वादा करता कि वह आज समय पर सोएगा और सुबह जल्दी उठेगा। लेकिन जैसे ही रात के 10 बजते, वह सोचता कि थोड़ा सा समय मोबाइल पर बिताने में क्या हर्ज है। वह अपने स्वास्थ्य से जुड़े कुछ वीडियो देखने लगता, फिर अचानक किसी और जानकारी की खोज में वह दूसरी वीडियो पर चला जाता। यह सिलसिला चलता रहता और कब रात के 12 या 1 बज जाते, उसे खुद भी पता नहीं चलता।
अगली सुबह, वह अलार्म के साथ जागने की कोशिश करता, लेकिन थकान उसे फिर से बिस्तर में खींच लेती। वह खुद से निराश हो जाता और सोचता, “क्यों नहीं मैं अपनी आदतों पर विजय पा सकता हूँ? यह इतना कठिन क्यों है?” लेकिन हर दिन की तरह, उस दिन भी वह हिम्मत नहीं हारा।
एक रात, निभू ने खुद से दृढ़ निश्चय किया कि आज वह अपने अंदर की उस आवाज को नहीं सुनेगा जो उसे मोबाइल उठाने पर मजबूर करती है। उसने एक रणनीति बनाई—रात के 9 बजे से ही अपने सारे डिवाइस बंद कर दिए और उन्हें कमरे से बाहर रख दिया। उसने एक किताब उठाई और पढ़ने लगा। धीरे-धीरे उसकी आँखें भारी होने लगीं और वह समय पर सो गया।
अगली सुबह, जब उसका अलार्म बजा, तो उसने महसूस किया कि उसकी नींद पूरी हो चुकी है। वह खुद से आश्चर्यचकित था कि बिना किसी आलस के वह उठ चुका है। यह छोटी सी विजय उसके लिए बहुत बड़ी थी। उसने महसूस किया कि असली युद्ध रात में ही लड़ा जाता है—मोबाइल और लालच के खिलाफ।
निभू को समझ आ गया कि सफलता केवल बड़े कदमों से नहीं मिलती, बल्कि छोटे-छोटे निर्णयों से भी होती है। उसने धीरे-धीरे अपनी रात की दिनचर्या को अनुशासित करना शुरू किया। अब वह रात को बिना किसी बाधा के सोता और सुबह तरोताजा होकर उठता।
यह छोटी सी जीत उसे उसकी बड़ी मंजिल तक पहुँचने का रास्ता दिखाने लगी। उसने सीखा कि आदतें बदलना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। बस जरूरत होती है धैर्य, अनुशासन और खुद पर विश्वास की।
निभू की कहानी हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर हम सही दिशा में कदम बढ़ाते रहें, तो एक दिन हम अपनी आदतों पर विजय पा ही लेंगे। रात के संघर्ष को जीतना असल में सुबह की जीत की कुंजी है।
संदेश: छोटी-छोटी आदतें ही हमें बड़े सपनों की ओर ले जाती हैं।