आंख खुली सुबह-सुबह और ऐसा लगा मानो आज मैं पूरी तरह से रिलैक्स मूड में हूं। नींद भी पूरी हो चुकी थी और कई दिनों से जो बदन दर्द था, वो भी गायब हो गया था। बेड पर लेटे-लेटे सोच रहा था, क्या करूं? गांधी जयंती मनाऊं, स्वच्छता दिवस का हिस्सा बनूं, या फिर बस छुट्टी का आनंद लूं?
गांधी बापू ने अपने जीवन में इतनी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिन तक पहुंचना अपने आप में गर्व की बात होगी। लेकिन मैंने ठान लिया कि आज की छुट्टी पर फोकस करूंगा। बच्चों को स्कूल के लिये तैयार कराने की कोई झंझट नहीं, पार्क में आधे मन से की जाने वाली वॉक भी टाल दी, और ये सोचकर मुझे अंदर से एक अनोखी खुशी महसूस हो रही थी। आज का दिन बस आराम का !
आज वाइफ का बर्थडे भी था। सोच रहा था, कहीं बाहर चला गया तो बच्चों को तैयार कौन करेगा, उनके रोजमर्रा के काम कैसे होंगे? बच्चों को रेडी कौन कराएगा एट लिस्ट स्नान ब्रश जो डेली रूटीन का काम है वह टाइम पर नहीं हुआ तो बेवजह क्लेश हो जाएगा |
एक दिन पहले ही केक ले आया था, ताकि किसी तरह की सुनने की नौबत ना आए। 1 अक्टूबर यानी एक दिन पहले मैंने सोचा था कि ऑफिस आ जाऊंगा 2 अक्टूबर को फिर वाइफ का बर्थडे अगर घर पर नहीं रहा तो जरूर सुनाएगी मुझे कहीं घूमने नहीं ले गए या फिर बाहर लंच डिनर या फिर शॉपिंग, रात में ही केक ला चुका था ताकि इस बार मुझे कुछ सुना ना पड़े पहले ही बोल दिया था कहीं चलना है तो चलो मोहतरमा शॉपिंग बाहर खाना घूमने या फिर कुछ और वाइफ की इच्छा अनुसार |
हलांकि दो दिन पहले ही शॉपिंग करा दी थी | सो वैसा कही बहार जाने का प्लान नहीं बना | बस आज का दिन रिलैक्स !
जैसे ही मैं अपनी छुट्टी एन्जॉय कर रहा था, तभी अचानक आवाज आई, “वॉशरूम कितना गंदा हो गया है।” यानि, बाथरूम साफ करना है। फिर दूसरी आवाज आई, “अपने हाथ से खाना खिलाना तो छोड़ ही दिया है आपने ।” यानी अब मुझे खाना भी बनाना है। इसके बाद, कपड़े धोने और छोटे बेटे को खाना खिलाने का काम भी मेरे सामने था।
काम खत्म कर मैं छोटू को झूला झुलाते-झुलाते खुद भी नींद में डूब गया। तभी वाइफ की आवाज सुनाई दी, ना ना इस बार जो आवाज थी, वह बड़ी धीमी थी | आज आपका इंस्टिट्यूट बंद है क्या?” मैंने कहा, “आज 2 अक्टूबर है, नेशनल हॉलिडे है।” लेकिन फिर एक सवाल आया,
“आपका मन काम में क्यों नहीं लगता?
आपको नींद भी बहुत आने लगी है।”
खुद को थोड़ा कोसते हुए रूम से निकलकर बाहर आ गया यानी दूसरे रूम में | अकेले में सोचने लगा, आखिर में एक ही गलती बार-बार क्यों करता हूं | भले ही मेरा सैटरडे संडे ऑफ होता है पर मैंने डिसाइड किया था की हर सेटरडे ऑफिस चला जाया करूंगा | भले ही नेशनल हॉलिडे में ऑफ होता है फिर भी मुझे घर पर नहीं रहना चाहिए | हालांकि ऐसी लाइफ सबको पसंद आएगी | परन्तु, कुछ न कुछ घर पर क्लेश हो जाता या थोड़ी बहुत नोक झोक या फिर मेरे रहने से उनका रूटीन बिगड़ जाता |
इसलिए घर पर रहना नापसंद करने लगा हूँ | जब कभी आराम फरमाने के लिए घर पर रुक जाता हूँ तो अपने आप को लूजर महसूस करता हूं | और लूजर टु विनर की पथ पर अपने आप को और प्रेरित करना चाहता हूं | मैं यहां किसी को भी गलत नहीं कह रहा बस परिस्थितियों ऐसी है, जिससे मुझे आज भी निपटने में परेशानी हो रही है |
भले ही मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर लिया हो | पर आज भी अपने आप को इस मोमेंट में विनर नहीं कह पा रहा | लूजर टु विनर में कुछ अपने आप में सुधार देखना चाहता हूं | यानी, जो आज भी गलतियां कर रहा हूं चाहता हूं कि वह दोबारा ना दोराहु | जैसे की छुट्टी के दिन पर घर पर रहना , देर तक सोना या दिन में सोना, सुबह देर से जागना, बच्चों को देर तक सुलाए रखना | छुट्टी के दिन उसका एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज ना करवाना |
मैंने महसूस किया कि भले ही जीवन में बहुत कुछ हासिल कर लिया हो, लेकिन इस मोमेंट में मैं खुद को विजेता नहीं मानता। लूजर से विनर बनने की राह आसान नहीं है, लेकिन मैं खुद में सुधार लाना चाहता हूं। मुझे अब घर पर फालतू छुट्टियां बिताने, ज्यादा सोने जैसी बेकार की आदतों से बाहर निकलने की जरूरत है।
एक नया अध्याय लिखने की जरूरत है एक नए स्वरूप को बनाने की जरूरत है और ज्यादा सक्सेसफुल बनने की जरूरत है अपनी टाइम को प्रॉपर यूटिलाइज करने की जरूरत है |
यह कहानी हमें सिखाती है कि असफलता से सफलता की ओर जाने का रास्ता खुद से शुरू होता है।
जैसे की छुट्टी के दिन पर घर पर रहना , देर तक सोना या दिन में सोना, सुबह देर से जागना, बच्चों को देर तक सुलाए रखना | छुट्टी के दिन उसका एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज ना करवाना |
आज २ अक्टूबर 2024 मै इन परेशानियों को सॉल्व करने के लिए तत्पर हूँ | आप अगर इसमें कुछ सुझाव देना चाहे तो…. आपको ढेर सारा आभार |