मैंने कई वर्षों से कई मिथकों को अपने जीवन में ढोया है, जिनका असलियत से कोई लेना-देना नहीं था। एक सबसे बड़ा मिथक जो मेरे जीवन में था, वह यह था कि मैं घर पर रुककर खाना बना दूंगा, चाहे मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूँ। यह मेरी सोच थी कि अगर मैंने नाश्ता और लंच बना दिया, बच्चे को नहला दिया, तो सबकुछ ठीक रहेगा। लेकिन अक्सर मैं सोचता था कि जब मैंने ये सब कर दिया, फिर भी मेरी पत्नी क्यों नाराज़ रहती है या चिल्लाते रहती है।
10 अक्टूबर 2024 को मुझे स्पष्ट रूप से समझ आ गया कि मेरी पत्नी को यह पसंद नहीं है कि मैं घर पर रुककर काम करूँ, बल्कि समय पर ऑफिस निकल जाना उसके लिए ज्यादा बेहतर है। शनिवार की छुट्टी के बावजूद, अगर मैं उस दिन भी ऑफिस चला जाता हूँ, तो चीज़ें बेहतर रहती हैं।
लेकिन आज, 11 अक्टूबर को मैंने वही गलती फिर से दोहरा दी। मेरी पत्नी दुर्गा अष्टमी की पूजा के लिए मंदिर गई थी, तो मैंने सोचा कि मैं बच्चे को संभाल लूँ और कुछ खाना भी बना दूँ, ताकि जब वह मंदिर से लौटे तो उसे तैयार खाना मिले और उसे अच्छा लगे। लेकिन मुझे 11 बजे तक हर हाल में ऑफिस पहुंचना था, जो फिर से नहीं हो पाया।
मैं यह गलती बार-बार क्यों करता हूँ, यह मुझे समझ नहीं आता। अब तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि मेरे किचन में जाकर खाना बनाने से मेरी पत्नी को खुशी मिली हो। अगर उसे खुशी मिली होती, तो उसकी जुबान और चेहरे से साफ-साफ दिखता। इसके अलावा, अगर मैं सिर्फ अपने लिए कुछ तैयार कर लेता हूँ और निकल जाता हूँ, तो वही काम उसे दुबारा करना पड़ता है। अगर मैं सबके लिए खाना बनाता हूँ, तो बहुत सारा समय निकल जाता है, जिससे मैं अक्सर ऑफिस लेट हो जाता हूँ।
भूखे निकलने से फिर अपनी सेहत की भी चिंता होती है। खैर, यह सब जो भी हो, मैं इसका समाधान ढूंढ लूंगा। लेकिन एक बात अब साफ हो गई है कि अगर मैं लंच बनाकर ऑफिस लेट आता हूँ, तो मेरी पत्नी को इससे खुशी नहीं मिलती। पहली प्राथमिकता यह है कि मैं समय पर ऑफिस पहुंचूँ। बाकी सब बेमतलब की प्राथमिकताएँ हैं।
इस समस्या से लड़ने के लिए कुछ ठोस उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- समय की प्राथमिकता तय करें: सबसे पहले यह समझें कि ऑफिस समय पर पहुँचना आपकी पहली प्राथमिकता है। बाकी सभी काम, जैसे खाना बनाना या घर के छोटे-मोटे काम, इसके बाद आते हैं। अगर आप समय पर ऑफिस नहीं पहुँचेंगे, तो इससे आपका काम प्रभावित होगा, जो आपकी समग्र दिनचर्या और मानसिक शांति को भी प्रभावित करता है।
- समय प्रबंधन: घर के कामों को एक निश्चित समय में निपटाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, अगर आपको ऑफिस 11 बजे जाना है, तो तय करें कि सुबह के 9 बजे तक ही घरेलू काम पूरे हों, चाहे वह खाना बनाना हो या बच्चों का ध्यान रखना। इसके बाद अपने ऑफिस जाने की तैयारी शुरू करें। इससे आप समय पर ऑफिस पहुँचने का अभ्यास कर पाएंगे।
- कार्य बांटें: यदि संभव हो, तो घर के कामों में कुछ जिम्मेदारियाँ बाँट लें। सबकुछ अकेले करने की बजाय, आप अपनी पत्नी या घर के अन्य सदस्यों के साथ कामों को बांट सकते हैं। इससे आपका बोझ कम होगा और आप समय पर निकल पाएंगे।
- प्री-प्लानिंग: रात में ही अगले दिन की योजना बना लें। अगर सुबह खाना बनाना है, तो रात में ही थोड़ी तैयारी कर लें। सब्जियाँ काट लें, मसाले तैयार कर लें ताकि सुबह जल्दी हो जाए। इसके अलावा, आप वीकेंड पर कुछ चीजें प्री-कुक करके रख सकते हैं, जिससे आपके सुबह का काम हल्का हो जाएगा।
- समझ और संवाद: अपनी पत्नी के साथ खुलकर बात करें। उनसे यह जानने की कोशिश करें कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं। जब आप समझ पाएंगे कि उन्हें आपके देर से ऑफिस जाने के बजाय समय पर जाना ज्यादा पसंद है, तो आप दोनों के बीच सामंजस्य बेहतर होगा और गलतफहमियाँ कम होंगी।
- स्वास्थ्य का ध्यान रखें: यदि आपको समय पर खाने का मौका नहीं मिलता है, तो ऑफिस में कुछ हल्का और पौष्टिक खाना ले जाएँ। आप फलों, ड्राई फ्रूट्स या हेल्दी स्नैक्स साथ ले सकते हैं, जिससे आप बिना खाना छोड़े ऑफिस समय पर पहुंच सकें और अपनी सेहत का भी ध्यान रख सकें।
- आत्म-विश्लेषण: अपनी आदतों का विश्लेषण करें और उन पर काम करें। यदि आपको पता है कि आपको कुछ आदतें बार-बार गलती करने पर मजबूर करती हैं, तो उन आदतों पर ध्यान देकर उन्हें बदलने की कोशिश करें। समय की पाबंदी से आपके जीवन में अनुशासन आएगा और आपकी उत्पादकता भी बढ़ेगी।
- अलार्म सेट करें: आप अपनी दिनचर्या को समय से पूरा करने के लिए अलार्म या रिमाइंडर का उपयोग कर सकते हैं। एक तय समय पर अलार्म सेट करें जो आपको याद दिलाए कि अब आपको ऑफिस के लिए निकलना है।
इन उपायों को अपनाकर आप अपने समय का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं और ऑफिस लेट पहुंचने जैसी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। इससे न केवल आपके कामकाजी जीवन में सुधार आएगा, बल्कि घर में भी सुखद माहौल बना रहेगा।