निभू की ज़िन्दगी में एक छोटी सी समस्या थी – वो अक्सर अपने समय का पूरा उपयोग नहीं कर पाता था। छोटे-छोटे काम, जो देखने में लगते थे कि तुरंत हो जाएंगे, कभी-कभी इतना समय ले लेते कि पता ही नहीं चलता। एक दिन, निभू को एक दूसरे व्यक्ति का डोमेन रिन्यू कराना था। उसने सोचा, “ये तो सिर्फ़ दो मिनट का काम है,” पर जब तक वो काम ख़त्म हुआ, उसके चार घंटे बर्बाद हो चुके थे।
छोटी-छोटी बातें या काम कितने सारा समय ले लेते हैं, पता ही नहीं चलता। कुछ छोटे-मोटे काम तो ऐसे होते हैं, जो लगता है कि तुरंत पूरा हो जाएगा, लेकिन असल में ये इतना समय बर्बाद कर देते हैं कि क्या कहें। फिर समय तो बर्बाद हुआ ही, साथ ही मानसिक तनाव भी देते हैं। और ऊपर से उस महत्वपूर्ण समय का नुकसान, जो और भी कष्टदायक होता है।
जैसे आज ही मुझे डोमेन रिन्यूअल कराना था, वो भी किसी दूसरे व्यक्ति का। लगा कि बस 2 मिनट का ही तो काम है, और सच में, ये 2 मिनट का ही काम होता, लेकिन मेरे लगभग 4 घंटे बर्बाद हो गए। पूछो कैसे? पुछो ना… क्या बताऊँ। पहले दूसरे व्यक्ति का लॉगिन ढूंढने में समय लगा, फिर उसके जीमेल को लॉगिन करने में, फिर वैलिडेशन के लिए कार्ड डिटेल्स लेने और OTP में समय बर्बाद हुआ। क्योंकि वो डोमेन पहले ही एक्सपायर हो चुका था, इसलिए रजिस्ट्रार से रिन्यूअल की रिक्वेस्ट करने में और कीमत कम करवाने में भी समय लग गया। और क्या मिला? घण्टा! हाँ, सच कह रहा हूँ, 4 घंटे बर्बाद हो गए और कुछ हाथ नहीं आया।
ऐसे कामों को कम या बिना प्राथमिकता के सूची में डालना चाहिए। इन सब में जिस महत्वपूर्ण काम को सुबह निपटाना था, वो हो ही नहीं पाया। अब 15 अक्टूबर के 3:00 बज रहे हैं और सोच रहा हूँ कि कितना समय बर्बाद कर दिया। ऐसे ही कोई संदेश या बधाई भेजता है, उसे पढ़ना, जवाब देना है या नहीं, इस पर भी दिमाग सोचता ही है। इन चीजों में भी काफी समय निकल जाता है।
इसी तरह, जब भी ऑनलाइन कुछ ऑर्डर करना होता है, तो उत्पाद चुनने में भी काफी समय बर्बाद हो जाता है। जबकि ये सब काम स्पेयर टाइम में करने वाली चीजें हैं, मुख्य समय में बिल्कुल नहीं। कभी-कभी सगे-संबंधियों से बातचीत, पड़ोसियों या सहकर्मियों के साथ हंसी-मज़ाक में भी मेरा इतना समय निकल जाता है, जिसका मुझे बाद में बहुत अफसोस होता है।
इन सभी कामों को “कम महत्वपूर्ण” या “बिना महत्वपूर्ण” वाली सूची में डालना है और मुख्य कामों को प्राथमिकता देकर पहले निपटाना है। यही मेरे लिए सबसे अच्छा रहेगा।
प्रेरणादायक कहानी: छोटे कामों को सही तरीक़े से समझो
एक दिन, निभू अपने ऑफिस में बैठा था और अपने चार घंटे बर्बाद होने का सोच रहा था। तभी, गुरु गौर गोपाल दास जी उसके पास आए। गुरुजी ने देखा कि निभू चिंता में था और पूछा, “निभू, क्या हुआ? तुम इतने चिंतित क्यों हो?”
निभू ने अपने समय की बर्बादी की कहानी सुनाई। गुरु गौर गोपाल दास जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “निभू, अगर तुम समय को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाओगे, तो ये छोटे-छोटे काम हमेशा तुम्हें फंसा कर रखेंगे। जो काम वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, उन्हें पहले पूरा करो, और जो छोटे काम हैं, उन्हें उस समय के लिए छोड़ो जब तुम्हारे पास अतिरिक्त समय हो।”
गुरुजी की बात ने निभू को एक नए तरीके से सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने सोचा, “गुरुजी सही कह रहे हैं। छोटी-छोटी बातें और काम हमेशा समय चुरा लेते हैं, अगर हम इन्हें सही समय पर न करें।”
उस दिन के बाद, निभू ने अपने दिन की योजना बनानी शुरू की। उसने अपने महत्वपूर्ण कामों को हमेशा पहले रखा और छोटे कामों को उस समय के लिए रखा जब उसके पास अतिरिक्त समय हो। धीरे-धीरे, उसने अपने समय का बेहद सलीके से इस्तेमाल करना सीख लिया और उसकी उत्पादकता काफी बढ़ गई।
निष्कर्ष: इस सीख से हमें यह समझने को मिलता है कि छोटे-छोटे काम आपका कीमती समय चुरा सकते हैं, अगर आप उन्हें सही तरीके से नहीं संभालते। समय की प्राथमिकता बनाओ और हमेशा अपने महत्वपूर्ण कामों को पहले पूरा करो, ताकि आप अपने जीवन के बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सको।