निब्हू एक छोटे से शहर में रहता था। वह बहुत होशियार और मेहनती था, लेकिन हर बार किसी नई परिस्थिति का सामना करते वक्त वह अंदर से घबरा जाता। चाहे नया स्कूल हो, नई नौकरी हो या नए लोग हों, निब्हू हमेशा अपनी झिझक की वजह से पीछे हट जाता था।
खास मौका
एक दिन, उसके शहर में एक बड़ा व्यापार सम्मेलन होने वाला था। यह सम्मेलन निब्हू के करियर के लिए महत्वपूर्ण हो सकता था, लेकिन उसे वहां जाकर लोगों से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वह सोचता रहा कि क्या वह वहां अपनी बात अच्छे से रख पाएगा।
उसके दोस्त ने उसे एक सुझाव दिया: “अगर तू हर बार डरकर पीछे हटेगा, तो तू कभी अपने सपनों को नहीं जी पाएगा। डर तुझे हमेशा वहीँ रोकेगा जहाँ तू है। लेकिन अगर तू सिर्फ एक कदम बढ़ा ले, तो तुझे पता चलेगा कि यह उतना मुश्किल नहीं है।”
छोटे कदम, बड़ी जीत
निब्हू ने सोचा कि वह केवल एक घंटे के लिए सम्मेलन में जाएगा और फिर वापस आ जाएगा। उसने खुद से वादा किया कि वह कम से कम एक व्यक्ति से बात करेगा। जब वह सम्मेलन में गया, तो शुरुआत में उसकी हिचकिचाहट ने उसे जकड़ लिया। लेकिन जैसे ही उसने किसी से बातचीत की, उसे एहसास हुआ कि लोग उसकी बात सुन रहे हैं। उसकी बातें लोगों को समझ आ रही थीं और लोग उसकी तारीफ कर रहे थे।
नई शुरुआत
उस दिन के बाद, निब्हू ने हर नए मौके पर खुद को झिझक से आज़ाद किया। उसने सीखा कि झिझक सिर्फ एक मानसिक अवरोध है, जिसे हटाना हमारे हाथ में है।
सीख
झिझक को तोड़ने के लिए हमें छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए। जितनी बार हम हिचकिचाते हैं, उतनी बार हम एक अवसर खो देते हैं। लेकिन जैसे ही हम पहला कदम बढ़ाते हैं, झिझक गायब हो जाती है और आत्मविश्वास हमारा साथी बन जाता है।